छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाए जाने पर भले ही भ्रम की स्थिति हो लेकिन सरकारी सेवा कानून में कुछ ऐसे संशोधन संभावित हैं जो उन्हें इसके तहत मिले तमाम संरक्षणों को समाप्त कर सकते हैं।
मसलन, प्रोन्नति के हकदार वही होंगे जो अच्छे परिणाम देंगे। और तो और नकारे कर्मचारियों को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ सकता है। इसके लिए सरकारी सेवा कानून की धारा 311 और भ्रष्टाचार के मामलों से संबद्ध धारा 197 में संशोधन के लिए आयोग पर भारी दबाव है। फाइलों के समयबद्ध निपटारे से लेकर कर्मचारियों के सरकार के खिलाफ अदालतों में जाने की प्रवृत्ति पर भी लगाम कसने की तैयारी है। कागजी कामों में कमी लाई जाएगी और छोटी सेवाओं को आउटसोर्स किया जाएगा। इसके अलावा कर्मचारी संगठनों का अधिकार भी सीमित किया जाएगा।
नीचे से लेकर बड़े साहब तक की प्रोन्नति, कार्यक्षमता, लक्ष्य और जवाबदेही के आधार पर तय होगी। वहीं तकनीकी व प्रोफेशनल कर्मियों का पलायन रोकने के लिए उन्हें सरकारी शर्तों में ढील मिल सकती है। इंजीनियर, आईटी प्रोफेशनल, डाक्टर, टेक्नोक्रेट और वैज्ञानिकों के लिए आयोग अलग से तरह से सिफारिश करने की सोच रहा है। रिटायरमेंट आयु सीमा को लेकर फिलहाल उसके पास कोई प्रस्ताव नहीं है लेकिन आयोग इस संभावना से साफ इंकार करने की स्थिति में नहीं है।
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