केंद्र सरकार घरों में काम करने वाले कामगारों व सहायकों को भी निर्धारित मजदूरी, चिकित्सा लाभ और अवकाश का अधिकार दिलाने की कवायद कर रही है। इसके लिए जल्दी ही कानून बनाया जाएगा। प्रस्तावित घरेलू कामगार पंजीयन (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) अधिनियम, 2008 का मसौदा राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने तैयार किया है। फिलहाल यह महिला व बाल विकास मंत्रालय के पास विचाराधीन है।
प्रस्तावित कानून के दायरे में सभी पार्ट टाइम व फुल टाइम घरेलू कामगार, उनकी सेवा लेने वाले और रोजगार एजेंसियां आएंगी।ये हैं घरेलू कार्य : बागवानी, बच्चों को संभालना, खाना पकाना, घर की साफ-सफाई, कपड़े धोना, बीमार व वृद्धों की देखभाल करना आदि।
सेवा लेने वाले का दायित्व : कामगार के काम शुरू करने के एक माह के भीतर जिला बोर्ड में पंजीयन कराना।
यह करेगा जिला बोर्ड : न्यूनतम मजदूरी तय करना, विवादों का निराकरण तथा कानून पालन के लिए छापे की कार्रवाई।
कामगार का दायित्व : स्थान बदलने पर संबंधित बोर्ड को सूचना देकर काम की नई जगह की जानकारी देना।
कामगार को क्या मिलेगा : पंजीयन कराने पर पहचान-पत्र और जिला बोर्ड द्वारा अपने फंड से दिए जाने वाले लाभ का हक। काम खत्म करने और अगले दिन शुरू करने के बीच विश्राम के लिए कम से कम दस घंटे का समय। चिकित्सा के लिए सालाना 200 रुपए।
साल में मजदूरी सहित 15 छुटिट्यां।
नियमानुसार न्यूनतम मजदूरी।
पालन न कराने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों के संचालकों को न्यूनतम तीन माह का कारावास। कामगारों की सेवा लेने वालों को 2,000 रुपए तक का जुर्माना।
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