21 February, 2008

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से निराशा हाथ लगेगी?

निजी कंपनियों में दी जा रही मोटी पगार की ही तर्ज पर वेतन बढ़ने की उम्मीद लगाए केंद्रीय कर्मचारियों व अधिकारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से निराशा हाथ लग सकती है। अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटा आयोग तनख्वाह के मामले में निजी क्षेत्रों से होड़ लगाने के मूड में कतई नहीं है।

उच्च पदों पर काबिज अधिकारियों के सरकारी नौकरी से तौबा करने के सिलसिले के बावजूद आयोग की तरफ से इस तरह की कोई भी सिफारिश आने की संभावना नहीं है। हालांकि सरकारी नौकरी छोड़ निजी क्षेत्र में जा रहे अधिकारियों को रोकना आयोग के लिए कठिन चुनौती है। इसके लिए वेतन वृद्धि के संकेत भी उसने दिए हैं। लेकिन यह तय है कि निजी कंपनियों में मुंहमांगी पगार देने की पद्धति के सामने यह वेतन वृद्धि बौनी ही साबित होगी।

दैनिक जागरण के अनुसार आयोग नौकरशाहों के वेतन में सवा तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी करने के मूड में आयोग कतई नहीं है। हालांकि कर्मचारियों व अधिकारियों की सुख सुविधाओं में कुछ बढ़ोतरी करके सरकारी सेवाओं को आकर्षक करने की कोशिश आयोग की जरूर की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों ने तो निजी क्षेत्र के बराबर वेतन वृद्धि की उम्मीद तो उसी दिन छोड़ दी थी जिस दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कारपोरेट जगत के नायकों से अपनी कंपनियों में दी जा रही मोटी तनख्वाहों पर पुनर्विचार करने को कहा था। वेतन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, 'निजी कंपनियों में तो 25 साल के एक युवक को भी इतनी तनख्वाह मिल जाती है जितनी सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को कई साल की सेवाओं के बाद भी हासिल नहीं होती।' सार्वजनिक क्षेत्र की अपनी सीमाएं हैं। हालांकि आयोग की तरफ से दी गई प्रश्नावली के जरिये अफसरों ने अपनी पगार निजी क्षेत्रों के बराबर ही किए जाने की अपेक्षा जाहिर की है।

1 comment:

  1. निराशा की आशा का मज़ा आप क्या जानें
    कितने ही बढ़ जायें या न मिलें मेहनताने

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